Ahmad Faraz Shayari – दोस्तों आज हम आपको अहमद फराज़ की शायरी सुनाने जा रहे जो लोग अहमद फराज को नहीं जानते उनको हम बता दे की अहमद फराज़ एक मशहूर शायर थे इनका जन्म पाकिस्तान मे हुआ था इन्होंने कम उम्र से ही शायरी लिखना सुरू कर दिया था। जिसके बाद उन्होंने बड़े होकर एक से बढ़ कर एक बढ़िया शयरी लिखी और फिर उन सभी शायरी को Faraz Shayari का नाम देकर लोगों तक पहुचया।
आज के समय मे भी अहमद फराज़ की मशहूर शायरी को पढ़ने के लिए बहुत से लोग गूगल पर हमेशा Ahmad Faraz Shayari सर्च करते और फिर जो भी उनको आर्टिकल मिलता उससे वह Ahmad Faraz Shayari Hindi पढ़ते है।
लेकिन एक ही शायरी को बार – बार पढ़ कर आप बहुत ऊब चुके होंगे इस लिए अब हम आपको यह कुछ नई Faraz Shayari in Hindi अब पढ़ाने जा रहे जिसे पढ़ने के बाद आपको यह अहसास होगा की अहमद फराज़ की लिखी शायरी कोई साधारण शायरी नहीं बल्कि उन सभी शायरी मे एक अनोखा पल का अहसास मिलता है।
इस लिए आइए सुरू करे पढ़ना इन सभी Ahmad Faraz Shayari को जिसे मधुर शायर अहमद फराज़ ने लिखा है जिसे हम आज पढ़ेंगे और पढ़ने के बाद अपने दोस्तों मे शेयर भी करेंगे।
Ahmad Faraz Shayari in Hindi
अब आइए आपको हम यह स्पेशल Ahmad Faraz Shayari in Hindi आपको पढ़ाने जा रहे जो आपको बहुत अधिक पसंद आएगी साथ मे आप इन सभी Faraz Ahmad Shayari को पढे और अपने दोस्तों मे शेयर करके उनको भी पढ़ाए।
कौन तोलेगा हीरों में अब तुम्हारे आंसू फ़राज़,
वो जो एक दर्द का ताजिर था दुकां छोड़ गया.,
किताबों से दलील दूँ या खुद को सामने रख दूँ फ़राज़,
वो मुझ से पूछ बैठी है मोहब्बत किस को कहते हैं.,
ज़िक्र उस का ही सही बज़्म में बैठे हो फ़राज़,
दर्द कैसा भी उठे हाथ न दिल पर रखना.,
वो जान गयी थी हमें दर्द में मुस्कराने की आदत है,
देती थी नया जख्म वो रोज मेरी ख़ुशी के लिए.,
झेले हैं जो दुःख तूने ‘फ़राज़’ अपनी जगह हैं,
पर तुम पे जो गुज़री है वो औरों से कम है.,
तेरी तलब में जला डाले आशियाने तक,
कहाँ रहूँ मैं तेरे दिल में घर बनाने तक.,
वो बात बात पे देता है परिंदों की मिसाल,
साफ़ साफ़ नहीं कहता मेरा शहर ही छोड़ दो.,
अब उसे रोज़ न सोचूँ तो बदन टूटता है फ़राज़,
उमर गुजरी है उस की याद का नशा किये हुए.,
माना कि तुम गुफ़्तगू के फन में माहिर हो फ़राज़,
वफ़ा के लफ्ज़ पे अटको तो हमें याद कर लेना.,
अपने ही होते हैं जो दिल पे वार करते हैं फ़राज़,
वरना गैरों को क्या ख़बर की दिल की जगह कौन सी है.,
तोड़ दिया तस्बी* को इस ख्याल से फ़राज़,
क्या गिन गिन के नाम लेना उसका जो बेहिसाब देता है.,
हम से बिछड़ के उस का तकब्बुर बिखर गया फ़राज़,
हर एक से मिल रहा है बड़ी आजज़ी के साथ.,
बर्बाद करने के और भी रास्ते थे फ़राज़,
न जाने उन्हें मुहब्बत का ही ख्याल क्यूं आया.,
बच न सका ख़ुदा भी मुहब्बत के तकाज़ों से फ़राज़,
एक महबूब की खातिर सारा जहाँ बना डाला.,
इस तरह गौर से मत देख मेरा हाथ ऐ फ़राज़,
इन लकीरों में हसरतों के सिवा कुछ भी नहीं.,
कौन देता है उम्र भर का सहारा फ़राज़,
लोग तो जनाज़े में भी कंधे बदलते रहते हैं.,
खाली हाथों को कभी गौर से देखा है फ़राज़,
किस तरह लोग लकीरों से निकल जाते हैं.,
चलता था कभी हाथ मेरा थाम के जिस पर,
करता है बहुत याद वो रास्ता उसे कहना.,
ये वफ़ा उन दिनों की बात है फ़राज़,
जब लोग सच्चे और मकान कच्चे हुआ करते थे.,
चाहने वाले मुक़द्दर से मिला करते हैं फ़राज़,
उस ने इस बात को तस्लीम* किया मेरे जाने के बाद.,
मुहब्बत में मैंने किया कुछ नहीं लुटा दिया फ़राज़,
उस को पसंद थी रौशनी और मैंने खुद को जला दिया.,
फुर्सत मिले तो कभी हमें भी याद कर लेना फ़राज़,
बड़ी पुर रौनक होती हैं यादें हम फकीरों की.,
एक पल जो तुझे भूलने का सोचता हूँ फ़राज़,
मेरी साँसें मेरी तकदीर से उलझ जाती हैं.,
जब उसका दर्द मेरे साथ वफ़ा करता है,
एक समुन्दर मेरी आँखों से बहा करता है.,
आँखों में हया हो तो पर्दा दिल का ही काफी है फ़राज़,
नहीं तो नकाबों से भी होते हैं इशारे मोहब्बत के.,
मेरे लफ़्ज़ों की पहचान अगर कर लेता वो फ़राज़,
उसे मुझ से नहीं खुद से मुहब्बत हो जाती.,
उस की निगाह में इतना असर था फ़राज़,
खरीद ली उसने एक नज़र में ज़िन्दगी हमारी.,
जब खिज़ां आए तो लौट आएगा वो भी फ़राज़,
वो बहारों में ज़रा कम ही मिला करता है फ़राज.,
उसकी बातें मुझे खुशबू की तरह लगती हैं,
फूल जैसे कोई सेहरा में खिला करता है.,
तुम मुझे मौक़ा तो दो ऐतबार बनाने का फ़राज़,
थक जाओगे मेरी वफ़ा के साथ चलते चलते.,
जुगनू जले भुझे मेरी पलकों पे सुबह तक,
जब भी तेरा ख़याल सर-ए-शाम आ गया.,
Ahmed Faraz Two Line Shayari
दोस्तों अब आइए आपको हम यह Ahmed Faraz Two Line Shayari पढ़ाने जा रहे जो आपको और भी ज्यादा पसंद आएगी तो अगर आप यह Ahmed Faraz 2 Line Shayari पढ़ना चाहते तो निचे की सभी shayari को पढ़े.
मैने तो एक लाश की दी थी खबर फ़राज़,
उल्टा मुझ पे ही क़तल का इल्ज़ाम आ गया.,
कुछ दोस्तो ने पूछा बताओ ग़ज़ल है क्या,
बे-सक्ता लबो पे तेरा नाम आ गया.,
मज़ा तो ये उन्हे भी नवाज़ता है रब,
जो इस जहाँ को रब के बगैर चाहते है.,
ठिठरती रात मे चादर भी जिनके पास नही,
वो दिन निकालना शब के बेगैर चाहते है.,
अजीब हम है सबब के बेगैर चाहते है,
तुम्हे तुम्हारी तलब के बेगैर चाहते है.,
इस तरह गौर से मत देख मेरा हाथ ऐ फ़राज़,
इन लकीरों में हसरतों के सिवा कुछ भी नहीं.,
जो ग़ैर थे वो इसी बात पर हमारे हुए,
कि हम से दोस्त बहुत बे-ख़बर हमारे हुए.,
फुर्सत मिले तो कभी हमें भी याद कर लेना फ़राज़,
बड़ी पुर रौनक होती हैं यादें हम फकीरों की.,
जो कभी हर रोज़ मिला करते थे फ़राज़,
वो चेहरे तो अब ख़ाब ओ ख़याल हो गए.,
अब उसे रोज़ न सोचूँ तो बदन टूटता है फ़राज़,
उमर गुजरी है उस की याद का नशा किये हुए.,
आँखें खुली तो जाग उठी हसरतें फराज़,
उसको भी खो दिया जिसे पाया था ख्वाब में.,
उतरा भी तो कब दर्द का चढ़ता हुआ दरिया,
जब कश्ती-ए-जाँ मौत के साहिल से लगी थी.,
माना कि तुम गुफ़्तगू के फन में माहिर हो फ़राज़,
वफ़ा के लफ्ज़ पे अटको तो हमें याद कर लेना.,
मैंने आज़ाद किया अपनी वफ़ाओं से तुझे,
बेवफ़ाई की सज़ा मुझको सुना दी जाए.,
करूँ न याद मगर किस तरह भुलाऊँ उसे,
ग़ज़ल बहाना करूँ और गुनगुनाऊँ उसे.,
तोड़ दिया तस्बी को इस ख्याल से फ़राज़
क्या गिन गिन के नाम लेना उसका जो बेहिसाब देता है.,
तुम्हारी दुनिया में हम जैसे हजारों हैं फ़राज़,
हम ही पागल थे जो तुम्हे पा के इतराने लगे.,
तू सामने है तो फिर क्यूँ यक़ीं नहीं आता फ़राज़,
ये बार बार जो आँखों को मल के देखते हैं.,
इन बारिशों से दोस्ती अच्छी नहीं फराज,
कच्चा तेरा मकाँ है कुछ तो ख्याल कर.,
क्यों उलझता रहता है तू लोगों से फ़राज़,
जरूरी तो नहीं वो चेहरा सभी को प्यारा लगे.,
Faraz shayari Collection
अब आइये आपको हम यह Faraz shayari Collection की सभी स्पेशल Faraz shayari आपको पढ़ाने जा रहे जो आपको और भी ज्यादा पसंद आयेगी साथ में आप इन्हें अपने दोस्तों में शियर भी कर सकोगे.
कभी टूटा नहीं मेरे दिल से आपकी याद का तिलिस्म फ़राज़,
गुफ़्तगू जिससे भी हो ख्याल आपका रहता है.,
उम्मीद वो रखे न किसी और से फ़राज़,
हर शख्स मोहब्बत नहीं करता उसे कहना.,
मेरे जज़्बात से वाकिफ है मेरा कलम फ़राज़,
मैं प्यार लिखूं तो तेरा नाम लिख जाता है.,
मेरे सब्र की इन्तेहाँ क्या पूछते हो फ़राज़,
वो मेरे सामने रो रहा है किसी और के लिए.,
जब्त-ए-ग़म कोई आसान काम नहीं फ़राज़,
आग होते है वो आँसू जो पिए जाते हैं.,
उसकी जफ़ाओं ने मुझे एक तहज़ीब सिख दी है फ़राज़,
मैं रोते हुए सो जाता हूँ पर शिकवा नहीं करता.,
आँखें खुली तो जाग उठी हसरतें फराज़,
उसको भी खो दिया जिसे पाया था ख्वाब में.,
इस दफा तो बारिशें रूकती ही नहीं फ़राज़,
हमने आँसू क्या पिए सारे मौसम रो पड़े.,
तन्हाइयों के दर्द से खूब वाकिफ था वो फ़राज़,
फिर भी दुनिया में मुझे तनहा बनाया उसने.,
बे-जान तो मैं अब भी नहीं फ़राज़,
मगर जिसे जान कहते थे वो छोड़ गया.,
वो बात बात पे देता है परिंदों की मिसाल,
साफ़ साफ़ नहीं कहता मेरा शहर ही छोड़ दो.,
अब उसे रोज़ न सोचूँ तो बदन टूटता है फ़राज़,
उमर गुजरी है उस की याद का नशा किये हुए.,
एक नफरत ही नहीं दुनिया में दर्द का सबब फ़राज़,
मोहब्बत भी सकूँ वालों को बड़ी तकलीफ़ देती है.,
माना कि तुम गुफ़्तगू के फन में माहिर हो फ़राज़,
वफ़ा के लफ्ज़ पे अटको तो हमें याद कर लेना.,
ज़माने के सवालों को मैं हँस के टाल दूँ फ़राज़,
लेकिन नमी आखों की कहती है “मुझे तुम याद आते हो.,
अपने ही होते हैं जो दिल पे वार करते हैं फ़राज़,
वरना गैरों को क्या ख़बर की दिल की जगह कौन सी है.,
हम से बिछड़ के उस का तकब्बुर बिखर गया फ़राज़,
हर एक से मिल रहा है बड़ी आजज़ी के साथ.,
उस शख्स से बस इतना सा ताल्लुक़ है फ़राज़,
वो परेशां हो तो हमें नींद नहीं आती.,
बर्बाद करने के और भी रास्ते थे फ़राज़,
न जाने उन्हें मुहब्बत का ही ख्याल क्यूं आया.,
बच न सका ख़ुदा भी मुहब्बत के तकाज़ों से फ़राज़,
एक महबूब की खातिर सारा जहाँ बना डाला.,
इतनी सी बात पे दिल की धड़कन रुक गई फ़राज़,
एक पल जो तसव्वुर किया तेरे बिना जीने का.,
उसने मुझे छोड़ दिया तो क्या हुआ फ़राज़,
मैंने भी तो छोड़ा था सारा ज़माना उसके लिए.,
ये मुमकिन नहीं की सब लोग ही बदल जाते हैं,
कुछ हालात के सांचों में भी ढल जाते हैं.,
बंदगी हम ने छोड़ दी है फ़राज़,
क्या करें लोग जब ख़ुदा हो जाएँ.,
आँखों में हया हो तो पर्दा दिल का ही काफी है,
नहीं तो नकाबों से भी होते हैं इशारे मोहब्बत के.,
एक नफरत ही नहीं दुनिया में दर्द का सबब फ़राज़
मोहब्बत भी सकूँ वालों को बड़ी तकलीफ़ देती है.,
लोग तो मजबूर हैं मरेंगे पत्थर, फ़राज,
क्यूँ न हम शीशों से कह दें टूटा न करें.,
कितना आसाँ था तेरे हिज्र में मरना जाना,
फिर भी इक उम्र लगी जान से जाते-जाते.,
माना कि तुम गुफ़्तगू के फन में माहिर हो फ़राज़,
वफ़ा के लफ्ज़ पे अटको तो हमें याद कर लेना.,
उस शख्स से बस इतना सा ताल्लुक़ है फ़राज़,
वो परेशां हो तो हमें नींद नहीं आती.,
क्यों उलझता रहता है तू लोगों से फ़राज़,
जरूरी तो नहीं वो चेहरा सभी को प्यारा लगे.,
किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम,
तू मुझसे खफा है तो ज़माने के लिए आ.,
तुम तकल्लुफ को भी इख्लास समझते हो फ़राज़,
दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलाने वाला.,
दोस्ती अपनी भी असर रखती है फ़राज़,
बहुत याद आएँगे ज़रा भूल कर तो देखो.,
फुर्सत मिले तो कभी हमें भी याद कर लेना फ़राज़,
बड़ी पुर रौनक होती हैं यादें हम फकीरों की.,
इस दफा तो बारिशें रूकती ही नहीं फ़राज़,
हमने आँसू क्या पिए सारे मौसम रो पड़े.,
एक पल जो तुझे भूलने का सोचता हूँ फ़राज़,
मेरी साँसें मेरी तकदीर से उलझ जाती हैं.,
मोहब्बत के अंदाज़ जुदा होते हैं फ़राज़,
किसी ने टूट के चाहा और कोई चाह के टूट गया.,
एक खलिश अब भी मुझे बेचैन करती है फ़राज़,
सुनके मेरे मरने की खबर वो रोया क्यूँ था.,
जब खिजां आएगी तो लौट आएगा वो भी,
वो बहारों में जरा कम ही निकला करता है.,
देखा मुझे तो तर्क-ए-तअल्लुक़ के बावजूद,
वो मुस्कुरा दिया ये हुनर भी उसी का था.,
मेरे सब्र की इन्तेहाँ क्या पूछते हो फ़राज़,
वो मेरे सामने रो रहा है किसी और के लिए.,
मेरे जज़्बात से वाकिफ है मेरा कलम फ़राज़,
मैं प्यार लिखूं तो तेरा नाम लिख जाता है.,
क्यों उलझता रहता है तू लोगों से फ़राज़,
जरूरी तो नहीं वो चेहरा सभी को प्यारा लगे.,
तुम तकल्लुफ को भी इख्लास समझते हो फ़राज़,
दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलाने वाला.,
इस दफा तो बारिशें रूकती ही नहीं फ़राज़,
हमने आँसू क्या पिए सारे मौसम रो पड़े.,
उसकी बातें मुझे खुशबू की तरह लगती हैं,
फूल जैसे कोई सेहरा में खिला करता है.,
मोहब्बत के अंदाज़ जुदा होते हैं फ़राज़,
किसी ने टूट के चाहा और कोई चाह के टूट गया.,
दोस्ती अपनी भी असर रखती है फ़राज़,
बहुत याद आएँगे ज़रा भूल कर तो देखो.,
इस तरह गौर से मत देख मेरा हाथ ऐ फ़राज़,
इन लकीरों में हसरतों के सिवा कुछ भी नहीं.,
Conclusion
यही सभी Ahmad Faraz Shayari आप सभी को काफी पसंद आई होंगी अगर नहीं तो आप हमे कमेन्ट मे बताए हम अपने अगले पोस्ट व Hindi Shayari मे कुछ अच्छा सुधार करेंगे।