Kaifi Azmi Shayari – दोस्तों आप सभी लोग कैफ़ी आजमी को तो जानते ही होंगे जिन्होंने हमे इतने अच्छे – अच्छे शायरी , कविता आदि दिया। आज के समय मे भले ही इनका नाम कोई न जनता हो लेकिन पहले के समय के लोगों के सामने जब भी कैफ़ी आजमी का नाम लिया जाता तो मानो सभी लोग एक जगह पर बाउथ कर Kaifi Azmi Shayari Hindi सुने का इंतज़ार कर रहे हो।
इस लिए आज हम आपको कैफ़ी Kaifi Azmi Shayari पढ़ाने जा रहे भले ही अपने बहुत से लोगों की शायरी सुनी हो लेकिन Kaifi Azmi Two Line Shayari आपको बहुत ही ज्यादा पसंद आने वाली है। क्योंकि इनकी शायरी मे आपको वो बात मिलेगी जो आपको किसी और की शायरी मे नहीं मिलेगी।
तो आइए सुरू करे पढ़ना Kaifi Azmi Shayari अपनी इस पोस्ट की मदद से भले ही यह शायरी साधारण लगे लेकिन इन शायरी के अंदर की आवाज आपको बहुत को फ़ील कराएगी।
Kaifi Azmi Shayari in Hindi
अब आपको हम कुछ स्पेशल Kaifi Azmi Shayari in Hindi पढ़ाने जा रहे जो आपको बेहद पसंद आएगी क्योंकि यह Kaifi Azmi Shayari उन महान व्यक्ति के द्वारा काही गई जो अपने जीवन सभी पल को बड़ी ही खुसी हाली से जी रहे है।
जब भी चूम लेता हूँ उन हसीन आँखों को,
सौ चिराग़ अँधेरे में झिलमिलाने लगते हैं.,
इतना तो ज़िन्दगी में किसी के ख़लल पड़े,
हंसने से हो सुकून न रोने से कल पड़े.,
अब और क्या तेरा बीमार बाप देगा तुझे,
बस एक दुआ कि ख़ुदा तुझको कामयाब करे,
वो टाँक दे तेरे आँचल में चाँद और तारे,
तू अपने वास्ते जिस को भी इंतख़ाब करे.,
सुना करो मेरी जाँ इन से उन से अफ़्साने,
सब अजनबी हैं यहाँ कौन किस को पहचाने.,
जिस तरह हँस रहा हूँ मैं पी पी के गर्म अश्क,
यूँ दूसरा हँसे तो कलेजा निकल पड़े.,
पेड़ के काटने वालों को ये मालूम तो था,
जिस्म जल जाएँगे जब सर पे न साया होगा.,
झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं,
दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं.,
जो इक ख़ुदा नहीं मिलत तो इतना मातम क्यों,
मुझे ख़ुद अपने क़दम का निशाँ नहीं मिलता.,
बस्ती में अपनी हिन्दू मुसलमाँ जो बस गए,
इंसाँ की शक्ल देखने को हम तरस गए.,
आज फिर टूटेंगी तेरे घर की नाज़ुक खिड़कियाँ,
आज फिर देखा गया दीवाना तेरे शहर में.,
इंसाँ की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं,
दो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद.,
इतना तो ज़िंदगी में किसी के ख़लल पड़े,
हँसने से हो सुकून न रोने से कल पड़े.,
रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई,
तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई.,
झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं,
दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं.,
तू अपने दिल की जवाँ धड़कनों को गिन के बता,
मेरी तरह तेरा दिल बे-क़रार है कि नहीं.,
पेड़ के काटने वालों को ये मालूम तो था,
जिस्म जल जाएँगे जब सर पे न साया होगा.,
बेलचे लाओ खोलो ज़मीं की तहें,
मैं कहाँ दफ़्न हूँ कुछ पता तो चले.,
बहार आए तो मेरा सलाम कह देना,
मुझे तो आज तलब कर लिया है सहरा ने.,
जो वो मिरे न रहे मैं भी कब किसी का रहा,
बिछड़ के उनसे सलीक़ा न ज़िन्दगी का रहा.,
पाया भी उन को खो भी दिया चुप भी हो रहे,
इक मुख़्तसर सी रात में सदियाँ गुज़र गईं.,
इन्साँ की ख़्वाहिशों की कोई इन्तिहा नहीं,
दो गज़ ज़मीं भी चाहिए, दो गज़ कफ़न के बाद.,
बेलचे लाओ खोलो ज़मीं की तहें,
मैं कहाँ दफ़्न हूँ कुछ पता तो चले.,
जो इक ख़ुदा नहीं मिलता तो इतना मातम क्यूँ,
यहाँ तो कोई मिरा हम-ज़बाँ नहीं मिलता.,
कोई तो सूद चुकाए कोई तो ज़िम्मा ले,
उस इंक़लाब का जो आज तक उधार सा है.,
अब जिस तरफ़ से चाहे गुज़र जाए कारवाँ,
वीरानियाँ तो सब मिरे दिल में उतर गईं.,
झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं,
दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं.,
बरस पड़ी थी जो रुख़ से नक़ाब उठाने में,
वो चाँदनी है अभी तक मेरे ग़रीब-ख़ाने में.,
इन में लहू जला हो हमारा कि जान ओ दिल,
महफ़िल में कुछ चराग़ फ़रोज़ाँ हुए तो हैं.,
गर्मी-ए-शौक़-ए-नज़ारा का असर तो देखो,
गुल खिले जाते हैं वो साया-ए-तर तो देखो.,
इक तर्ज़-ए-तग़ाफ़ुल है सो वो उन को मुबारक,
इक अर्ज़-ए-तमन्ना है सो हम करते रहेंगे.,
Kaifi Azmi Two Line Shayari
दोस्तों अब आइए आपको Kaifi Azmi Two Line Shayari पढ़ाएंगे जिसे आप आसानी से पढ़ सकते हो इसके साथ आप इसे अपने दोस्तों को भी शियर कर सकते हो यह शायरी को.
नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तुजू ही सही,
नहीं विसाल मयस्सर तो आरज़ू ही सही.,
फिर नज़र में फूल महके दिल में फिर शमएँ जलीं,
फिर तसव्वुर ने लिया उस बज़्म में जाने का नाम.,
हम परवरिश-ए-लौह-ओ-क़लम करते रहेंगे,
जो दिल पे गुज़रती है रक़म करते रहेंगे.,
न जाने किस लिए उम्मीद-वार बैठा हूँ,
इक ऐसी राह पे जो तेरी रहगुज़र भी नहीं.,
यूँ सजा चाँद कि झलका तिरे अंदाज़ का रंग,
यूँ फ़ज़ा महकी कि बदला मिरे हमराज़ का रंग.,
ये आरज़ू भी बड़ी चीज़ है मगर हमदम,
विसाल-ए-यार फ़क़त आरज़ू की बात नहीं.,
ये दाग़ दाग़ उजाला ये शब-गज़ीदा सहर,
वो इंतिज़ार था जिस का ये वो सहर तो नहीं.,
दिल से तो हर मोआमला कर के चले थे साफ़ हम,
कहने में उन के सामने बात बदल बदल गई.,
जो वो मिरे न रहे मैं भी कब किसी का रहा,
बिछड़ के उनसे सलीक़ा न ज़िन्दगी का रहा.,
पाया भी उनको खो भी दिया चुप भी हो रहे,
इक मुख़्तसर सी रात में सदियाँ गुज़र गईं.,
जो इक ख़ुदा नहीं मिलत तो इतना मातम क्यों,
मुझे ख़ुद अपने क़दम का निशाँ नहीं मिलता.,
ख़ार-ओ-ख़स तो उठें, रास्ता तो चले,
मैं अगर थक गया, क़ाफ़िला तो चले.,
जिस तरह हँस रहा हूँ मैं पी पी के गर्म अश्क,
यूँ दूसरा हँसे तो कलेजा निकल पड़े.,
गर डूबना ही अपना मुक़द्दर है तो सुनो,
डूबेंगे हम ज़रूर मगर नाख़ुदा के साथ.,
मैं ढूँढ़ता हूँ जिसे वो जहाँ नहीं मिलता,
नई ज़मीन नया आसमाँ नहीं मिलता.,
पेड़ के काटने वालों को ये मालूम तो था,
जिस्म जल जाएँगे जब सर पे न साया होगा.,
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो,
क्या ग़म है जिस को छुपा रहे हो.,
ग़ुर्बत की ठंडी छाँव में याद आई उस की धूप,
क़द्र-ए-वतन हुई हमें तर्क-ए-वतन के बाद.,
Conclusion
यही सभी Kaifi Azmi Shayari आप सभी को काफी पसंद आई होंगी अगर नहीं तो आप हमे कमेन्ट मे बताए हम अपने अगले पोस्ट व Hindi Shayari मे कुछ अच्छा सुधार करेंगे।