दोस्तों आज हम आपको इस पोस्ट मे कुमार विश्वास जी की कुछ स्पेशल Kumar Vishwas Shayari आपको पढ़ाने जा रहे क्योंकि आपको तो पता होगा की कुमार विश्वास एक शायर है जिन्होंने एक से बढ़ कर एक शायरी की रचना की है।
आज भी अगर किसी मंच मे कोई सम्मानित का कार्य होता उस मंच पर आपको Kumar Vishwas Shayari जरूर सुनने को मिल जाएगी क्योंकि कुमार विश्वास ने अपने जीवन मे ऐसी कई सारी शायरी सुनाई है जोकी दूसरे के जीवन के लिए प्रेरणा बनी है इस लिए आज भी अगर कोई समारोह मे Kumar Vishwas Shayari आपको सुनने को आसानी से मिल जाएगी।
Kumar Vishwas Shayari in Hindi
अब आइए आपको हम यह Kumar Vishwas Shayari in Hindi हम पढ़ाने जा रहे जोकी आपको बहुत ज्यादा पसंद आने वाली है क्योंकि इन सभी Kumar Vishwas Shayari से आपको पढ़ाने जा रहे है।
ना पाने की ख़ुशी है कुछ ना खोने का ही कुछ गम है,
ये दौलत और शोहरत सिर्फ कुछ जख्मो का मरहम है,
अजब सी कशमकश है रोज जीने रोज मरने में,
मुकम्मल जिंदगी तो है मगर पूरी से कुछ कम है.,
कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है,
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है.
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ तू मुझ से दूर कैसी है,
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है.,
भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा,
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा,
अभी तक डूबकर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का,
मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा.,
हमने दुख के महासिंधु से सुख का मोती बीना है,
और उदासी के पंजों से हंसने का सुख छीना है,
मान और सम्मान हमें ए याद दिलाते हैं पल पल,
भीतर भीतर मरना है पर बाहर बाहर जीना है.,
कोई मंजिल नहीं जंचती, सफर अच्छा नहीं लगता,
अगर घर लौट भी आऊं तो घर अच्छा नहीं लगता,
करूं कुछ भी मैं अब दुनिया को सब अच्छा ही लगता है,
मुझे कुछ भी तुम्हारे बिन मगर अच्छा नहीं लगता.,
ना पाने की खुशी है कुछ ना खोने का ही कुछ गम है,
ये ‘दौलत’ और ‘शोहरत’ सिर्फ कुछ जख्मों का मरहम है,
अजब सी कशमकश है रोज जीने रोज मरने में ,
मुकम्मल जिंदगी तो है मगर पूरी से कुछ कम है.,
सब अपने दिल के राजा हैं सबकी कोई रानी है,
भले प्रकाशित हो ना हो पर सब की कोई कहानी है,
बहुत सरल है किसने कितना दर्द सहा है,
जितनी जिसकी आंख हंसे है उतनी पीर पुरानी है.,
नज़र में शोखिया लब पर मुहब्बत का तराना है,
मेरी उम्मीद की जद में अभी सारा जमाना है,
कई जीत है दिल के देश पर मालूम है मुझकों,
सिकन्दर हूँ मुझे इक रोज़ खाली हाथ जाना है.,
उम्मीदों का फटा पैरहन,
रोज़-रोज़ सिलना पड़ता है,
तुम से मिलने की कोशिश में,
किस-किस से मिलना पड़ता है.,
उसी की तरह मुझे सारा ज़माना चाहे,
वो मेरा होने से ज्यादा मुझे पाना चाहे,
मेरी पलकों से फिसल जाता है चेहरा तेरा,
ये मुसाफिर हो कोई ठिकाना चाहे.,
कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है,
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है.,
दिल के तमाम ज़ख़्म तिरी हाँ से भर गए,
जितने कठिन थे रास्ते वो सब गुज़र गए.,
आदमी होना ख़ुदा होने से बेहतर काम है,
ख़ुद ही ख़ुद के ख़्वाब की ताबीर बन कर देख ले.,
अपने ही आप से इस तरह हुए हैं रुख़्सत,
साँस को छोड़ दिया जिस सम्त भी जाना चाहे.,
मेरा जो भी तर्जुबा है तुम्हे बतला रहा हूँ मैं,
कोई लब छु गया था तब की अब तक गा रहा हूँ मैं,
बिछुड़ के तुम से अब कैसे जिया जाये बिना तडपे,
जो मैं खुद ही नहीं समझा वही समझा रहा हु मैं.,
कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है,
मगर धरती की बैचेनी को बस बादल समझता है,
मै तुझसे दूर कैसा हुँ तू मुझसे दूर कैसी है,
यह तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है.,
ज़ख्म भर जाएंगे तुम मिलो तो सही,
दिन सँवर जाएंगे तुम मिलो तो सही,
रास्ते में खड़े दो अधूरे सपन,
एक घर जाएंगे तुम मिलो तो सही.,
एक दो दिन में वो इकरार कहाँ आएगा,
हर सुबह एक ही अखबार कहाँ आएगा,
आज जो बाँधा है इनमें तो बहल जायेंगे,
रोज़ इन बाँहों का त्यौहार कहाँ आएगा.,
मैं अपने गीत-ग़ज़लों से उसे पैग़ाम करता हूँ,
उसी की दी हुई दौलत उसी के नाम करता हूँ,
हवा का काम है चलना दिए का काम है जलना,
वो अपना काम करती है मैं अपना काम करता हूँ.,
नज़र अक्सर शिकायत आजकल करती है दर्पण से,
थकन भी चुटकियाँ लेने लगी है तन से और मन से,
कहाँ तक हम संभाले उम्र का हर रोज़ गिरता घर,
तुम अपनी याद का मलबा हटाओ दिल के आँगन से.,
गीत ढला जब पोर-पोर ने पीड़ा को जपना समझा,
ख़ुद का दर्द सहज गया तो दुनिया ने अपना समझा,
शाल-दुशालों में लिपटा यह अक्षर जीवन कविता का,
हमने नींद बेचकर पाया दुनिया ने सपना समझा.,
बात करनी है बात कौन करे,
दर्द से दो-दो हाथ कौन करें,
हम सितारे तुम्हें बुलाते हैं,
चांद ना हो तो रात कोंन करें.,
जिंदगी भर की कमाई तुम थे,
इससे ज्यादा जकात कोन करें.,
एक ख़ामोश हलचल बनी ज़िंदगी,
गहरा ठहरा हुआ जल बनी ज़िंदगी,
तुम बिना जैसे महलों में बीता हुआ.,
चंद चेहरे लगेंगे अपने से,
ख़ुद को पर बेक़रार मत करना,
आख़िर में दिल्लगी लगी दिल पर,
हम न कहते थे प्यार मत करना.,
तुम्हीं पे मरता है ये दिल अदावत क्यों नहीं करता,
कई जन्मों से बंदी है बग़ावत क्यों नहीं करता,
कभी तुमसे थी जो वो ही शिकायत है ज़माने से,
मेरी तारीफ़ करता है मुहब्बत क्यों नहीं करता.,
नहीं कहा जो कभी ख़ामख़ा समझती है,
जो चाहता हूँ मैं कहना कहाँ समझती है,
सब तो कहते थे ताल्लुक में इश्क़ के अक्सर,
आँख को आँख ज़बाँ को ज़बाँ समझती है.,
ये तेरी बेरुख़ी की हम से आदत ख़ास टूटेगी,
कोई दरिया न ये समझे कि मेरी प्यास टूटेगी,
तेरे वादे का तू जाने मेरा वो ही इरादा है,
कि जिस दिन साँस टूटेगी उसी दिन आस टूटेगी.,
पुराने दोस्त जमे हैं मुंडेर पर छत की,
ये शाम रात से पहले ढली-ढली सी लगे,
तुम्हारा ज़िक्र मिला है नरम हवा के हाथ,
हमें ये जाड़े की आमद भली-भली सी लगे.,
मोहब्बत एक एहसासों की पावन सी कहानी है,
कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है,
यहाँ सब लोग कहते है मेरी आँखों में आंसू है,
जो तू समझे तो मोती है जो न समझे तो पानी है.,
मैं उसका हूँ वो इस एहसास से इनकार करती है,
भरी महफ़िल में भी रुसवा हर बार करती है,
यकीं है सारी दुनिया को, खफा है हमसे वो लेकिन,
मुझे मालूम है फिर भी मुझी से प्यार करता है.,
तुम्हारा ख़्वाब जैसे ग़म को अपनाने से डरता है,
हमारी आखँ का आँसूं ख़ुशी पाने से डरता है,
अज़ब है लज़्ज़ते ग़म भी जो मेरा दिल अभी कल तक़,
तेरे जाने से डरता था वो अब आने से डरता है.,
तुम अगर नहीं आयी गीत गा न पाउगा,
सांस साथ छोड़ेगी सुर सजा न पाउगा,
तान भावना की है शब्द शब्द दर्पण है,
बांसुरी चली आओ होठ का निमंत्रण है.,
Dr. Kumar Vishwas Shayari
अब आइए आपको हम यह Dr. Kumar Vishwas Shayari पढ़ाने जा रहे इस पोस्ट के मध्यम से जोकी आपको बहुत ज्यादा पसंद आएगी क्योंकि यह सभी Kumar Vishwas Shayari खुद कुमार विश्वास जी ने दूसरों को प्रेरणा देते समय काही थी।
मैं अपने गीतों और ग़ज़लों से उसे पेगाम करता हु,
उसकी दी हुई दौलत उसी के नाम करता हूँ,
हवा का काम है चलना दिए का काम है जलना,
वो अपना काम करती है में अपना काम करता हूँ.,
गिरेबान चेक करना क्या है सीना और मुश्किल है,
हर एक पल मुस्कुराकर अश्क पीना और मुश्किल है,
हमारी बदनसीबी ने हमें बस इतना सिखाया है,
किसी के इश्क़ में मरने से जीना और मुश्किल है.,
मिले हर जख्म को मुस्कान को सीना नहीं आया,
अमरता चाहते थे पर ज़हर पीना नहीं आया,
तुम्हारी और मेरी दस्ता में फर्क इतना है,
मुझे मरना नहीं आया तुम्हे जीना नहीं आया.,
मै तेरा ख्वाब जी लून पर लाचारी है,
मेरा गुरूर मेरी ख्वाहिसों पे भरी है,
सुबह के सुर्ख उजालों से तेरी मांग से,
मेरे सामने तो ये श्याह रात सारी है.,
सब अपने दिल के राजा है सबकी कोई रानी है,
भले प्रकाशित हो न हो पर सबकी कोई कहानी है.
बहुत सरल है किसने कितना दर्द सहा,
जिसकी जितनी आँख हँसे है उतनी पीर पुराणी है.,
जिस्म का आखिरी मेहमान बना बैठा हूँ,
एक उम्मीद का उन्वान बना बैठा हूँ,
वो कहाँ है ये हवाओं को भी मालूम है मगर,
एक बस में हूँ जो अनजान बना बैठा हूँ.,
वो जो खुद में से कम निकलतें हैं,
उनके ज़हनों में बम निकलतें हैं,
आप में कौन-कौन रहता है,
हम में तो सिर्फ हम निकलते हैं.,
मिल गया था जो मुक़द्दर वो खो के निकला हूँ.
में एक लम्हा हु हर बार रो के निकला हूँ.
राह-ए-दुनिया में मुझे कोई भी दुश्वारी नहीं.
में तेरी ज़ुल्फ़ के पेंचो से हो के निकला हूँ.,
एक दो रोज में हर आँखें उब्ब जाती है,
मुझको मंजिल नहीं रास्ता समझने लगते है,
जिनको हासिल नहीं वो जान देते रहते है,
जिनको मिल जॉन वो सस्ता समझने लगते है.,
फ़लक पे भोर की दुल्हन यूँ सज के आई है,
ये दिन उगा है या सूरज के घर सगाई है,
अभी भी आते हैं आँसू मेरी कहानी में,
कलम में शुक्र-ए- खुदा है कि ‘रौशनाई’ है.,
आँखें की छत पे टहलते रहे काले साये,
कोई पहले में उजाले भरने नहीं आया,
कितनी दिवाली गयी कितने दशहरे बीते,
इन मुंडेरों पर कोई दीप न धरने आया.,
ये दिल बर्बाद करके इसमें क्यों आबाद रहते हो,
कोई कल कह रहा था तुम अल्लाहाबाद रहते हो,
ये कैसे शोहरते मुझे अता कर दी मेरे मौला,
में सब कुछ भूल जाता हु मगर तुम याद रहते हो.,
हर एक नदिया के होंठों पे समंदर का तराना है,
यहाँ फरहाद के आगे सदा कोई बहाना है,
वही बातें पुरानी थीं वही किस्सा पुराना है,
तुम्हारे और मेरे बिच में फिर से जमाना है.,
पुकारे आँख में चढ़कर तो खू को खू समझता है,
अँधेरा किसको कहते है ये बस जुगनू समझता है,
हमें तो चाँद तारो में तेरा ही रूप दिखता है,
मोहब्बत में नुमाइश को अदाए तू समझता है.,
जब बेमन से खाना खाने पर माँ गुस्सा हो जाती है,
जब लाख मन करने पर भी पारो पढने आ जाती है,
बड़की भाभी कहती हैं कुछ सेहत का भी ध्यान करो,
क्या लिखते हो दिनभर कुछ सपनों का भी सम्मान करो,
बस्ती बस्ती घोर उदासी पर्वत पर्वत खालीपन,
मन हीरा बेमोल बिक गया घिस घिस रीता तनचंदन,
इस धरती से उस अम्बर तक दो ही चीज़ गज़ब की है,
एक तो तेरा भोलापन है एक मेरा दीवानापन.,
कोई खामोश है इतना बहाने भूल आया हूँ,
किसी की इक तरनुम में तराने भूल आया हूँ,
मेरी अब राह मत तकना कभी ए आसमां वालो,
मैं इक चिड़िया की आँखों में उड़ाने भूल आया हूँ.,
ना पाने की खुशी है कुछ ना खोने का ही कुछ गम है,
ये दौलत और शोहरत सिर्फ, कुछ ज़ख्मों का मरहम है,
अजब सी कशमकश है रोज़ जीने, रोज़ मरने में,
मुक्कमल ज़िन्दगी तो है मगर पूरी से कुछ कम है.,
वो जिसका तीर चुपके से जिगर के पार होता है,
वो कोई गैर क्या अपना ही रिश्तेदार होता है,
किसी से अपने दिल की बात तू कहना ना भूले से,
यहाँ ख़त भी थोड़ी देर में अखबार होता है.,
मैं उसका हूँ वो इस एहसास से इनकार करती है,
भरी महफ़िल में भी रुसवा हर बार करती है,
यकीं है सारी दुनिया को खफा है हमसे वो लेकिन,
मुझे मालूम है फिर भी मुझी से प्यार करता है.,
हमारे शेर सुनकर भी जो खामोश इतना है,
खुदा जाने गुरुर ए हुस्न में मदहोश कितना है,
किसी प्याले से पूछा है सुराही ने सबब मय का,
जो खुद बेहोश हो वो क्या बताये होश कितना है.,
कोई कब तक महज सोचे,कोई कब तक महज गाए,
ईलाही क्या ये मुमकिन है कि कुछ ऐसा भी हो जाऐ,
मेरा मेहताब उसकी रात के आगोश मे पिघले,
मैँ उसकी नीँद मेँ जागूँ वो मुझमे घुल के सो जाऐ.,
तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है समझता हूँ,
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है समझता हूँ,
तुम्हें मैं भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नहीं लेकिन,
तुम्हीं को भूलना सबसे जरूरी है समझता हूँ.,
तुझ को गुरुर ए हुस्न है मुझ को सुरूर ए फ़न,
दोनों को खुदपसंदगी की लत बुरी भी है,
तुझ में छुपा के खुद को मैं रख दूँ मग़र मुझे,
कुछ रख के भूल जाने की आदत बुरी भी है.,
हर इक खोने में हर इक पाने में तेरी याद आती है,
नमक आँखों में घुल जाने में तेरी याद आती है,
तेरी अमृत भरी लहरों को क्या मालूम गंगा माँ,
समंदर पार वीराने में तेरी याद आती है.,
गिरेबान चेक करना क्या है सीना और मुश्किल है,
हर एक पल मुस्कुराकर अश्क पीना और मुश्किल है,
हमारी बदनसीबी ने हमें बस इतना सिखाया है,
किसी के इश्क़ में मरने से जीना और मुश्किल है.,
Kumar Vishwas 2 Line Shayari
अब आइए आपको हम यह Kumar Vishwas 2 Line Shayari पढ़ाने जा रहे इस पोस्ट के मध्यम से जोकी आपको बहुत ज्यादा पसंद आएगी क्योंकि यह सभी Kumar Vishwas Shayari खुद कुमार विश्वास जी ने दूसरों को प्रेरणा देते समय काही थी।
मिले हर जख्म को मुस्कान को सीना नहीं आया,
अमरता चाहते थे पर ज़हर पीना नहीं आया,
तुम्हारी और मेरी दस्ता में फर्क इतना है,
मुझे मरना नहीं आया तुम्हे जीना नहीं आया.,
मेरा अपना तजुर्बा है तुम्हे बतला रहा हूँ मैं,
कोई लब छू गया था तब के अब तक गा रहा हु मैं,
बिछुड़ के तुम से अब कैसे जिया जाए बिना तड़पे,
जो में खुद हे नहीं समझा वही समझा रहा हु मैं.,
सब अपने दिल के राजा है, सबकी कोई रानी है,
भले प्रकाशित हो न हो पर सबकी कोई कहानी है,
बहुत सरल है किसने कितना दर्द सहा,
जिसकी जितनी आँख हँसे है उतनी पीर पुराणी है.,
पनाहों में जो आया हो तो उस पर वार क्या करना,
जो दिल हारा हुआ हो उस पे फिर अधिकार क्या करना,
मुहब्बत का मजा तो डूबने की कशमकश में है,
हो ग़र मालूम गहराई तो दरिया पार क्या करना.,
सदा तो धूप के हाथों में ही परचम नहीं होता,
खुशी के घर में भी बोलों कभी क्या गम नहीं होता,
फ़क़त इक आदमी के वास्तें जग छोड़ने वालो,
फ़क़त उस आदमी से ये ज़माना कम नहीं होता.,
नज़र में शोखिया लब पर मुहब्बत का तराना है,
मेरी उम्मीद की जद़ में अभी सारा जमाना है,
कई जीते है दिल के देश पर मालूम है मुझकों,
सिकन्दर हूं मुझे इक रोज खाली हाथ जाना है.,
हमने दुःख के महासिंधु से सुख का मोती बीना है,
और उदासी के पंजों से हँसने का सुख छीना है,
मान और सम्मान हमें ये याद दिलाते है पल पल,
भीतर भीतर मरना है पर बाहर बाहर जीना है.,
वो जिसका तीरे छुपके से जिगर के पार होता है,
वो कोई गैर क्या अपना ही रिश्तेदार होता है,
किसी से अपने दिल की बात तू कहना ना भूले से,
यहां खत भी जरा सी देर में अखबार होता है.,
Conclusion
यही सभी Kumar Vishwas Shayari आप सभी को काफी पसंद आई होंगी अगर नहीं तो आप हमे कमेन्ट मे बताए हम अपने अगले पोस्ट व Hindi Shayari मे कुछ अच्छा सुधार करेंगे।