Munawwar Rana Shayari – दोस्तों आज सभी ने मुनव्वर राणा का नाम तो सुना ही होगा जिन्हे अधिकतर लोग अपनी शायरी के नाम से जानते है तो आज हम आपको मुनव्वर राणा की सभी स्पेशल शायरी इन पोस्ट के मध्यम से पढ़ाने जा रहे क्योंकि आप सभी की बहुत ज्यादा डिमांड थी की हम आपके लिए Munawwar Rana Shayari लेकर आए।

इस लिए आज आपके लिए यह Munawwar Rana Shayari पेस है क्योंकि मुनव्वर राणा का नाम शायरी के बहुत ऊपर है इसी वजह से लोग मुनव्वर राणा शायरी पढ़ना चाहते है तो आइए सुरू करे पढ़ना इन सभी Munawwar Rana Shayari Hindi को बिना किसी परेशानी और समझे की आखिर मुनव्वर राणा अपनी इन सभी शायरी के मध्यम से जनता को क्या संदेश देना चाहते है।

 

Munawwar Rana Shayari in Hindi

अब आइए आपको हम यह Munawwar Rana Shayari in Hindi पढ़ाने जा रहे जो की इस पोस्ट मे लिखी है तो आप सभी इस पोस्ट को सुरू से पढे और इन सभी शायरी को अपने दोस्तों मे भी शेयर करे ताकि आपके दोस्त भी Munawwar Rana Shayari पढ़ सके।

 

इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है,

माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है.,

 

मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आँसू,

मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना.,

 

लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती,

बस एक माँ है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती.,

 

किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई,

मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई.,

 

दावर-ए-हश्र तुझे मेरी इबादत की कसम,

ये मेरा नाम-ए-आमाल इज़ाफी होगा,

नेकियां गिनने की नौबत ही नहीं आएगी,

मैंने जो मां पर लिक्खा है, वही काफी होगा.,

 

Munawwar Rana Shayari

 

ख़ुद को इस भीड़ में तन्हा नहीं होने देंगे,

माँ तुझे हम अभी बूढ़ा नहीं होने देंगे.,

 

अभी ज़िन्दा है माँ मेरी मुझे कु्छ भी नहीं होगा,

मैं जब घर से निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है.,

 

दुआएँ माँ की पहुँचाने को मीलों मील जाती हैं,

कि जब परदेस जाने के लिए बेटा निकलता है.,

 

बहन का प्यार माँ की ममता दो चीखती आँखें,

यही तोहफ़े थे वो जिनको मैं अक्सर याद करता था,

खाने की चीज़ें माँ ने जो भेजी हैं गाँव से,

बासी भी हो गई हैं तो लज़्ज़त वही रही,,

 

Javed Akhtar Shayari 

 

माँ के आगे यूँ कभी खुल कर नहीं रोना,

जहाँ बुनियाद हो इतनी नमी अच्छी नहीं होती.,

 

बुज़ुर्गों का मेरे दिल से अभी तक डर नहीं जाता,

कि जब तक जागती रहती है माँ मैं घर नहीं जाता.,

 

ये ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता,

मैं जब तक घर न लौटूं, मेरी माँ सज़दे में रहती है.,

 

 

चलती फिरती आँखों से अज़ाँ देखी है,

मैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है.,

 

ऐ अंधरे देख ले मुँह तेरा काला हो गया,

माँ ने आंखे खोल दी घर में उजाला हो गया.,

 

इस तरह वो मेरे गुनाहों को धो देती है,

माँ बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है.,

 

Munawwar Rana Shayari

 

उदास रहने को अच्छा नहीं बताता है,

कोई भी ज़हर को मीठा नहीं बताता है,

कल देखा था अपने को माँ की आँखों में,

ये आईना हमे बुढ़ा नहीं बताता है.,

 

बुलंदी देर तक किस सख्श के हिस्से में रहती है,

बहुत ऊंची ईमारत हर घरी खतरे में रहती है,

बहुत जी चाहता है जां से हम निकल जाए,

तुम्हारी याद भी लेकिन इसी मलबे में रहती है.,

 

मेरी ख़्वाइश है की मै फिर से फरिश्ता हो जाऊ,

माँ से इस तरह लिपट जाऊ की बच्चा हो जाऊ.,

 

मुझको हर हाल में बख्शेगा उजाला अपना,

चाँद रिश्ते में नहीं लगता है मामा अपना,

मैंने रोते हुए पोछे थे किसी दिन आंसू,

मुद्दतो माँ ने नहीं धोया दुप्पटा अपना.,

 

यु तो मुझको सुझाई नहीं देता लेकिन,

माँ अभी तक मेरे चेहरे को पढ़ा करती है,

माँ की सब खूबियाँ बेटी में चली आई है,

मै तो सो जाता हु वो जगा करती है.,

 

 

Farewell Shayari

 

यहाँ भटकती है हवस दिन रात सोने की दुकानों में,

ग़रीबी कान छिदवाती है तिनका डाल देती है.,

 

जा के लिपट जाता हु माँ से और मौसी मुस्कुराती है,

मै उर्दू में ग़ज़ल कहता हु तो हिंदी मुस्कुराती है,

उछलते खेलते बचपन में बेटा ढूंढती होगी,

तभी तो देख कर पोता को दादी मुस्कुराती है.,

 

मेरे आँगन के कलियों को तमन्ना साहजादो की,

और मेरी मुसीबत ये है की मै बीड़ी बनता हु.,

 

खुद को इस भीड़ में तन्हा नहीं होने देंगे,
माँ तुझे हम अभी बूढ़ा नहीं होने देंगे.,

 

लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती,
बस एक माँ है जो कभी खफा नहीं होती.,

 

मुझे बस इस लिए अच्छी बहार लगती है,
कि ये भी माँ की तरह ख़ुशगवार लगती है.,

 

Munawwar Rana Shayari

 

बर्बाद कर दिया हमे परदेश ने मगर,
माँ सबसे कह रही है की बेटा मजे में है.,

 

आप को चेहरे से भी बीमार होना चाहिए,
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए.,

 

हमारा तीर कुछ भी हो निशाने तक पहुंचता है,
परिन्दा कोई मौसम हो ठिकाने तक पहुंचता है.,

 

फ़रिश्ते आ कर उन के जिस्म पर ख़ुश्बू लगाते हैं,
वो बच्चे रेल के डिब्बों में जो झाड़ू लगाते हैं.,

 

एक आँसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है,
तुम ने देखा नहीं आँखों का समुंदर होना.,

 

ऐ ख़ाक-ए-वतन तुझ से मैं शर्मिंदा बहुत हूँ,
महँगाई के मौसम में ये त्यौहार पड़ा है.,

 

तुझे मालूम है इन फेफड़ों में ज़ख़्म आए हैं,
तेरी यादों की इक नन्ही सी चिंगारी बचाने में.,

 

तुम्हारे शहर में मय्यत को सब कांधा नहीं देते,
हमारे गाँव में छप्पर भी सब मिल कर उठाते हैं.,

 

Munawwar Rana Hindi Shayari

दोस्तों अब आपको हम मुनव्वर राना की लोकप्रिय शायरी पढ़ाने जा रहे जो आपको बहुत ज्यादा आएगी इस Munwwar Rana 2 Line shayari मे आपको Munwwar Rana Best shayari पढ़ने को मिलेगी।

 

 

जहां तक हो सका हमने तुम्हें परदा कराया है,
मगर ऐ आंसुओं! तुमने बहुत रुसवा कराया है.,

 

मियां मैं शेर हूं शेरों की गुर्राहट नहीं जाती,
मैं लहजा नर्म भी कर लूं तो झुंझलाहट नहीं जाती.,

 

मौत का आना तो तय है मौत आयेगी मगर,
आपके आने से थोड़ी ज़िन्दगी बढ़ जायेगी.,

 

मैं लोगों से मुलाकातों के लम्हे याद रखता हूँ,
मैं बातें भूल भी जाऊं तो लहजे याद रखता हूँ.,

 

कहीं पर छुप के रो लेने को तहख़ाना भी होता था,
हर एक आबाद घर में एक वीराना भी होता था.,

 

आओ तुम्हें दिखाते हैं अंजामे-ज़िंदगी,
सिक्का ये कह के रेल की पटरी पे रख दिया.,

 

कुछ बिखरी हुई यादों के क़िस्से भी बहुत थे,
कुछ उस ने भी बालों को खुला छोड़ दिया था.,

 

दौलत से मोहब्बत तो नहीं थी मुझे लेकिन,
बच्चों ने खिलौनों की तरफ़ देख लिया था.,

 

घर में रहते हुए ग़ैरों की तरह होती हैं,
लड़कियाँ धान के पौदों की तरह होती हैं.,

 

खिलौनों की दुकानों की तरफ़ से आप क्यूँ गुज़रे,
ये बच्चे की तमन्ना है ये समझौता नहीं करती.,

 

किसी के ज़ख़्म पर चाहत से पट्टी कौन बाँधेगा,
अगर बहनें नहीं होंगी तो राखी कौन बाँधेगा.,

 

किसी की याद आती है तो ये भी याद आता है,
कहीं चलने की ज़िद करना मिरा तय्यार हो जाना.,

 

 

किसी दिन मेरी रुस्वाई का ये कारन न बन जाए,
तुम्हारा शहर से जाना मिरा बीमार हो जाना.,

 

दिन भर की मशक़्क़त से बदन चूर है लेकिन,
माँ ने मुझे देखा तो थकन भूल गई है.,

 

दहलीज़ पे रख दी हैं किसी शख़्स ने आँखें,
रौशन कभी इतना तो दिया हो नहीं सकता.,

 

दौलत से मोहब्बत तो नहीं थी मुझे लेकिन,
बच्चों ने खिलौनों की तरफ़ देख लिया है.,

 

खिलौनों के लिए बच्चे अभी तक जागते होंगे,
तुझे ऐ मुफ़्लिसी कोई बहाना ढूँड लेना है.,

 

Rahat Indori Shayari in Hindi

 

जितने बिखरे हुए काग़ज़ हैं वो यकजा कर ले,
रात चुपके से कहा आ के हवा ने हम से.,

 

अब जुदाई के सफ़र को मिरे आसान करो,
तुम मुझे ख़्वाब में आ कर न परेशान करो.,

 

गर कभी रोना ही पड़ जाए तो इतना रोना,
आ के बरसात तिरे सामने तौबा कर ले.,

 

तुझे मा’लूम है इन फेफड़ों में ज़ख़्म आए हैं,
तिरी यादों की इक नन्ही सी चिंगारी बचाने में.,

 

तुम्हारे शहर में मय्यत को सब कांधा नहीं देते,
हमारे गाँव में छप्पर भी सब मिल कर उठाते हैं.,

 

तुम्हें भी नींद सी आने लगी है थक गए हम भी,
चलो हम आज ये क़िस्सा अधूरा छोड़ देते हैं.,

 

फिर कर्बला के ब’अद दिखाई नहीं दिया,
ऐसा कोई भी शख़्स कि प्यासा कहें जिसे.,

 

मैं दुनिया के मेआ’र पे पूरा नहीं उतरा,
दुनिया मिरे मेआ’र पे पूरी नहीं उतरी.,

 

मैं इसी मिट्टी से उट्ठा था बगूले की तरह,
और फिर इक दिन इसी मिट्टी में मिट्टी मिल गई.,

 

चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी है,
मैं ने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है.,

 

तुम्हारी आँखों की तौहीन है ज़रा सोचो,
तुम्हारा चाहने वाला शराब पीता है.,

 

 

मिट्टी का बदन कर दिया मिट्टी के हवाले,
मिट्टी को कहीं ताज-महल में नहीं रक्खा.,

 

हँस के मिलता है मगर काफ़ी थकी लगती हैं,
उस की आँखें कई सदियों की जगी लगती हैं.,

 

निकलने ही नहीं देती हैं अश्कों को मिरी आँखें,
कि ये बच्चे हमेशा माँ की निगरानी में रहते हैं.,

 

मुनव्वर माँ के आगे यूँ कभी खुल कर नहीं रोना,
जहाँ बुनियाद हो इतनी नमी अच्छी नहीं होती.,

 

शहर के रस्ते हों चाहे गाँव की पगडंडियाँ,
माँ की उँगली थाम कर चलना बहुत अच्छा लगा.,

 

आप को चेहरे से भी बीमार होना चाहिए,
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए.,

 

झुक के मिलते हैं बुजुर्गों से हमारे बच्चे,
फूल पर बाग की मिट्टी का असर होता है.,

 

कोई दुख हो, कभी कहना नहीं पड़ता उससे,
वो  जरूरत हो तलबगार से पहचानता है.,

 

भुला पाना बहुत मुश्किल है सब कुछ याद रहता है,
मोहब्बत करने वाला इस लिए बरबाद रहता है.,

 

किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई,
मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई.,

 

नये कमरों में अब चीजें पुरानी कौन रखता है,
परिंदों के लिए शहरों में पानी कौन रखता है.,

 

तुझसे बिछड़ा तो पसंद आ गयी बे-तरतीबी,
इससे पहले मेरा कमरा भी ग़ज़ल जैसा था.,

 

सिरफिरे लोग हमें दुश्मन-ए-जां कहते हैं,

हम तो इस मुल्क की मिट्टी को भी माँ कहते हैं.,

 

Conclusion

यही सभी Munawwar Rana Shayari आप सभी को काफी पसंद आई होंगी अगर नहीं तो आप हमे कमेन्ट मे बताए हम अपने अगले पोस्ट व  Hindi Shayari मे कुछ अच्छा सुधार करेंगे।

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