Nida Fazli Shayari – दोस्तों आप सभी ने निदा फ़ाज़ली ने अपने जीवन मे बहुत सी अच्छी अच्छी शायरी व कविता लिखी है। इनकी शायरी को पढ़ने के लिए बहुत से लोंग अपने रोजाना के काम काज से कुछ कीमती समय निकलते और फिर उसी समय मे वह इनकी शायरी को सुन कर अपना मन मे कुछ अच्छा स परिवर्तन लेकर आते है।
इस लिए आज हम आपको Nida Fazli Shayari आपको पढ़ाने जा रहे ताकि आप भी इनकी शायरी को सुन कर अपने आप मे परिवर्तन ला सके क्योंकि एक समय था। जब इनके शायरी के सम्मेलन मे लोगों को बहुत बड़ी फ़ीड लगती थी।
इस लिए आज हम आपको Nida Fazli Shayari के कुछ अनमोल शायरी आपको सुनाएंगे जिसे आप आसानी से समझ जाओगे तो आइए आपको सुनना सुरू करे ये सभी बेस्ट Nida Fazli Two Line Shayari बिना किसी परेशानी।
Nida Fazli Shayari in Hindi
इस Nida Fazli Shayari in Hindi मे आपको किसी महान हस्थी की वो सभी बाते मिलेंगी जो उसमे अपने जीवन मे देखा है तो आप सभी इस Nida Fazli Shayari को अच्छे से पढे बिना किसी समस्या।
कच्चे बखिए की तरह रिश्ते उधड़ जाते हैं,
हर नए मोड़ पर कुछ लोग बिछड़ जाते हैं.,
यूँ हुआ दूरियाँ कम करने लगे थे दोनों,
रोज़ चलने से तो रस्ते भी उखड़ जाते हैं.,
अच्छा-सा कोई मौसम तन्हा-सा कोई आलम,
हर वक़्त का रोना तो बेकार का रोना है.,
ग़म हो कि ख़ुशी दोनों कुछ देर के साथी हैं,
फिर रस्ता ही रस्ता है हँसना है न रोना है.,
आवारा मिज़ाजी ने फैला दिया आंगन को,
आकाश की चादर है धरती का बिछौना है.,
उन से नज़रें क्या मिली रोशन फिजाएँ हो गईं,
आज जाना प्यार की जादूगरी क्या चीज़ है.,
ख़ुलती ज़ुल्फ़ों ने सिखाई मौसमों को शायरी,
झुकती आँखों ने बताया मयकशी क्या चीज़ है.,
शायद कुछ दिन और लगेंगे, ज़ख़्मे-दिल के भरने में,
जो अक्सर याद आते थे वो कभी-कभी याद आते हैं.,
दो और दो का जोड़ हमेशा चार कहाँ होता है,
सोच समझवालों को थोड़ी नादानी दे मौला.,
फिर मूरत से बाहर आकर चारों ओर बिखर जा,
फिर मंदिर को कोई मीरा दीवानी दे मौला.,
जिसे भी देखिये वो अपने आप में गुम है,
ज़ुबाँ मिली है मगर हमज़ुबा नहीं मिलता.,
तेरे जहान में ऐसा नहीं कि प्यार न हो,
जहाँ उम्मीद हो इस की वहाँ नहीं मिलता.,
बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने,
किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है.,
ग़म हो कि ख़ुशी दोनों कुछ देर के साथी हैं,
फिर रस्ता ही रस्ता है हँसना है न रोना है.,
देखा था जिसे मैंने कोई और था शायद,
वो कौन है जिससे तेरी सूरत नहीं मिलती.,
जिससे जब तक मिले दिल ही से मिले,
दिल जो बदला तो फसाना बदला,
ऱसम-ए-दुनिया की निभाने के लिए,
हमसे रिश्तों की तिज़ारत ना हुई.,
व़क्त रूठा रहा बच्चे की तरह,
राह में कोई खिलौना ना मिला,
दोस्ती भी तो निभाई ना गई,
दुश्मनी में भी अदावत ना हुई.,
पूजा घर में मूर्ती मीरा के संग श्याम,
जितनी जिसकी चाकरी उतने उसके दाम.,
मिट्टी से माटी मिले खो के सभी निशां,
किस में कितना कौन है कैसे हो पहचान.,
तमाम शहर में ऐसा नहीं ख़ुलूस न हो,
जहाँ उमीद हो सकी वहाँ नहीं मिलता.,
चिराग़ जलते ही बीनाई बुझने लगती है,
खुद अपने घर में ही घर का निशाँ नहीं मिलता.,
जिसे भी देखिये वो अपने आप में गुम है,
ज़ुबाँ मिली है मगर हमज़ुबा नहीं मिलता.,
तेरे जहान में ऐसा नहीं कि प्यार न हो,
जहाँ उम्मीद हो इस की वहाँ नहीं मिलता.,
गम है आवारा, अकेले में भटक जाता है,
जिस जगह रहिये वह मिलते-मिलाते रहिये.,
हर आदमी में होते है 10-20 आदमी,
जिस को भी देखना हो कई बार देखना.,
केवल खुशिया है अब, न कोई रुलाने वाला,
हमने अपना लिया हर रंग ज़माने वाला.,
हर घडी खुद से उलझना है मुकदर मेरा,
मैं ही कश्ती हूँ मुझी में है समंदर मेरा.,
अपनी मर्जी के कहाँ, अपने सफ़र के है हम,
रुख हवाओ का जिधर का है, उधर के है हम.,
बच्चो के छोटे-छोटे हाथो को चाँद सितारे छूने दो,
चार किताबे पढ़ कर ये भी हम जैसे हो जायेंगे.,
Nida Fazli Two Line Shayari
दोस्तों अब आपको हम ये Nida Fazli Two Line Shayari आपको पढ़ाने जा रहे जिसे आपको पढ़ने के बाद आपको अपने जीवन का असली महत्व पता चलेगा।
अब किसी से भी शिकायत नहीं रही,
जाने किस-किस से गिला था पहले.,
अब ख़ुशी है ना कोई ग़म रुलाने वाला,
हमने अपना लिया हर रंग ज़माने वाला.,
कहीं छत थी, दीवारो-दर थे कहीं,
मिला मुझको घर का पता देर से,
दिया तो बहुत ज़िन्दगी ने मुझे,
मगर जो दिया वो दिया देर से.,
सजा दिन भी रौशन हुई रात भी,
भरे जाम लगराई बरसात भी,
रहे साथ कुछ ऐसे हालात भी,
जो होना था जल्दी हुआ देर से.,
उतरा जो शहर में तो दुकानों में बट गया,
पहले तलाशा खेत फिर दरिया की खोज की.,
फिर यूँ हुआ वो चंद मकानों में बट गया,
हैं ताक में शिकारी निशाना हैं बस्तियाँ.,
कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता,
तमाम शहर में ऐसा नहीं ख़ुलूस न हो.,
बाँ मिली है मगर हम-ज़बाँ नहीं मिलता,
चराग़ जलते हैं बीनाई बुझने लगती है.,
ख़ुदा के हाथ में मत सौंप सारे कामों को,
बदलते वक़्त पे कुछ अपना इख़्तियार भी रख.,
अब ख़ुशी है न कोई दर्द रुलाने वाला,
हम ने अपना लिया हर रंग ज़माने वाला.,
ख़ुश-हाल घर शरीफ़ तबीअत सभी का दोस्त,
वो शख़्स था ज़ियादा मगर आदमी था कम.,
अब किसी से भी शिकायत न रही,
जाने किस किस से गिला था पहले.,
धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो,
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो.,
दिल में न हो जुरअत तो मोहब्बत नहीं मिलती,
ख़ैरात में इतनी बड़ी दौलत नहीं मिलती.,
अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं,
रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं.,
एक बे-चेहरा सी उम्मीद है चेहरा चेहरा,
जिस तरफ़ देखिए आने को है आने वाला.,
कोशिश भी कर उमीद भी रख रास्ता भी चुन,
फिर इस के ब’अद थोड़ा मुक़द्दर तलाश कर.,
ग़म है आवारा अकेले में भटक जाता है,
जिस जगह रहिए वहाँ मिलते-मिलाते रहिए.,
ग़म है आवारा अकेले में भटक जाता है,
जिस जगह रहिए वहाँ मिलते-मिलाते रहिए.,
नक़्शा उठा के कोई नया शहर ढूँढिए,
इस शहर में तो सब से मुलाक़ात हो गई.,
पहले हर चीज़ थी अपनी मगर अब लगता है,
अपने ही घर में किसी दूसरे घर के हम हैं.,
इस अँधेरे में तो ठोकर ही उजाला देगी,
रात जंगल में कोई शम्अ जलाने से रही.,
हमारा ‘मीर’-जी से मुत्तफ़िक़ होना है ना-मुम्किन,
उठाना है जो पत्थर इश्क़ का तो हल्का भारी क्या.,
हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी,
जिस को भी देखना हो कई बार देखना.,
हर एक बात को चुप-चाप क्यूँ सुना जाए,
कभी तो हौसला कर के नहीं कहा जाए.,
होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है,
इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है.,
इस अंधेरे में तो ठोकर ही उजाला देगी,
रात जंगल में कोई शम्म जलाने से रही.,
कोई हिंदू कोई मुस्लिम कोई ईसाई है,
सब ने इंसान न बनने की कसम खाई है.,
घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूं कर लें,
किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए.,
उठ उठ के मस्ज़िदों से नमाज़ी चले गए,
दहशतगरों के हाथ में इस्लाम रह गया.,
जिसे भी देखिए वो अपने आप में गुम है,
जुबां मिली है मगर हमजुबां नहीं मिलता.,
वक़्त के साथ है मिट्टी का सफ़र सदियों से,
किसको मालूम कहां के हैं, किधर के हम हैं.,
ग़म हो कि ख़ुशी दोनों कुछ देर के साथी हैं,
फिर रस्ता ही रस्ता है हँसना है न रोना है.,
आवारा मिज़ाजी ने फैला दिया आंगन को,
आकाश की चादर है धरती का बिछौना है.,
अपना गम लेके कहीं और न जाया जाए,
घर में बिखरी हुई चीज़ों को सजाया जाए.,
बाग़ में जाने के आदाब हुआ करते हैं,
किसी तितली को न फूलों से उड़ाया जाए.,
बुझा सका है भला कौन वक़्त के शोले,
ये ऐसी आग है जिसमें धुआँ नहीं मिलता.,
ये क्या अज़ाब है सब अपने आप में गुम हैं,
ज़बाँ मिली है मगर हमज़बाँ नहीं मिलता.,
तेरे जहान में ऐसा नहीं कि प्यार न हो,
जहाँ उम्मीद हो इस की वहाँ नहीं मिलता.,
खूँख्वार दरिंदों के फ़क़त नाम अलग हैं,
शहरों में बयाबान यहाँ भी है वहाँ भी.,
अपनी तरह सभी को किसी की तलाश थी,
हम जिसके भी क़रीब रहे दूर ही रहे.,
गुज़रो जो बाग़ से तो दुआ माँगते चलो,
जिसमें खिले हैं फूल वो डाली हरी रहे.,
इधर उधर कई मंज़िल हैं चल सको तो चलो,
बने बनाये हैं साँचे जो ढल सको तो चलो.,
हम हैं कुछ अपने लिए कुछ हैं ज़माने के लिए,
घर से बाहर की फ़ज़ा हँसने-हँसाने के लिए.,
तुमसे छुट कर भी तुम्हें भूलना आसान न था,
तुमको ही याद किया तुमको भुलाने के लिए.,
तुम क्या बिछड़े भूल गये रिश्तों की शराफ़त हम,
जो भी मिलता है कुछ दिन ही अच्छा लगता है.,
बेनाम-सा ये दर्द ठहर क्यों नहीं जाता,
जो बीत गया है वो गुज़र क्यों नहीं जाता.,
Conclusion
यही सभी Nida Fazli Shayari आप सभी को काफी पसंद आई होंगी अगर नहीं तो आप हमे कमेन्ट मे बताए हम अपने अगले पोस्ट व Hindi Shayari मे कुछ अच्छा सुधार करेंगे।